शिमला के क्यारकोटी में है ऐसा शिवालय जहां मिटता है भौतिक आकर्षण

क्यारकोटी शिवालय एक अद्भुत स्थान

शिमला से कामयाना रोड से 17 किलोमीटर की दूरी पर एक अदभुत शिवालय है। पुराने समय में क्यारकोटी कोटी रियासत की राजधानी रही है। आज बहुत ही कम अंश राजधानी के समय के बचे हैं। राजवंश के लोग इस स्थान की शोभा एवम वैभव को संजो नही पाए। शिवालय में भी राजपरिवार के लोग पूजा करते थे। ये शिवालय अपने आप में विलक्षण है यहां पर आपको कोई भीड़ नही दिखाई देगी। लगेगा ही नहीं इस स्थान पर कोई मंदिर भी स्थित है। इस कारण इस स्थान की पवित्रता बची हुई है। गांव के साधारण लोग इस मंदिर की शक्ति और सामर्थ्य से अच्छी तरह से परिचित हैं। लोग छोटी छोटी समस्याओं को लेकर अपनी मन्नतें मांगते हैं। दूध दही की कमी न आए इसलिए लोग मंदिर में अपने दुधारू पशु का पहली बार बनाया गया घी अर्पित करते हैं। इस क्षेत्र के आसपास रहने वाले लोगों का जीवन बेहद सादा है इसलिए अधिकतर लोग मंदिर में निस्वार्थ भाव से पूजा और सेवा करते रहते हैं।

बरसात के समय जब भारी बारिश हो रही होती है और सावन का पवित्र मास चल रहा होता है उन दिनों में इस मन्दिर में विशेष चहल पहल रहती है। हर तरफ घास और झाड़ियां उगी रहती है। शहरी मंदिरों के समान यहां पर अधिकतर सुविधाएं उपलब्ध नहीं रहती। लेकिन वास्तविक आध्यात्मिक ऊर्जा के निर्माण के लिए ये क्षेत्र विशेष उपयोगी है। यहां पर ध्यान में बैठे अथवा किसी पूजा पाठ में लगे लोगों को बरसात में निकलने वाले सापों से आमना सामना हो ही जाता है लेकिन आजतक किसी प्रकार की कोई अप्रिय घटना देखने को नहीं मिली है। इस मंदिर में शिवजी अपने एकादश रूपों के साथ विग्रह में विराजमान हैं। इस स्थान के महत्व को आध्यात्मिक लोग, साधु और साधक लोग भली भांति जानते हैं। इस स्थान में बैठने से अदभुत शांति का एहसास होता है। यहां पर अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए पूजा करवाने वाले लोग भी पूजा के दिनों में विशेष एहसास से परिचित हो जाते हैं। इस स्थान पर संसार की वस्तुओं को प्राप्त करने दौड़ समाप्त हो जाती है। यहां पर पूजा करते समय संसार के हर प्रकार के आकर्षण और तनाव समाप्त हो जाते हैं और मनुष्य बड़ी ही स्कारात्मक ऊर्जा से लबालब होकर वापिस आता है। जिन भी लोगों ने यहां समय बिताया उनके यही अनुभव रहे हैं कि यहां पर कितना भी तनाव हो सब दूर हो जाता है। इतना ही नहीं मन में किसी भी कामना के प्रति कोई आसक्ति ही नही रहती।

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1 Comment

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