–सब मानते हैं तेंदुओं, लक्कड़बघ्घों वाले घने जंगल वाले देवता के कानून
हिमाचल के शिमला के साथ एक ढल्ली नामका एक उपनगर है। इस उपनगर ठीक नीचे देवदार और चीड़, कैल और बान आदि के पेड़ों से घिरा घनघोर जंगल पड़ता है। इस जंगल में बार्किंग डीयर, बाघ, तंेदुए और लक्कड़बघ्घे जैसे खूंखार जानवर और अन्य कई प्रकार जीव-जन्तु रहते हैं। इस जंगल में अकेले जाना किसी भी हिम्मत वाले के बस की बात नहीं है। ऐसी सुनसान जगह पर एक देवता का निवास है जिसे धान्धी देवता के नाम से जाना जाता है। इस देवता की मान्यता के साथ-साथ कुछ ऐसे कानून है जिसे स्थानीय लोगों को मानना पड़ता है। अगर कानून में कुछ कोताही हुई तो देवता का कुछ न कुछ दंड प्रत्यक्ष रूप से देखने को मिलता है। जंगल के ठीक उपर ढल्ली बाजार बसा हुआ है यहां पर स्थानीय व्यापारी से लेकर तमाम लोगों में देव की बहुत मान्यता है। देव की स्थापना जंगल के बीच में हैं उसके उपर पड़ने वाले गांव में लोग किसी भी प्रकार की गन्दगी को देवता की ओर नहीं फैंकते। लोग सच्चे ह्रदय से जो भी प्रार्थना देवता से करते हैं देवता उसे तुरन्त पूरा कर देते हैं। देवता को बदले में धाम दी जाती है। यह धाम दो प्रकार की रहती है एक धाम में मीट की धाम और दूसरे प्रकार की धाम में कई प्रकार स्थानीय व्यंजन बनाये जाते हैं। इस धाम को बनाने और खाने के लिए उसी घने जंगल में जाना होता है। लोग समूह में जंगल में जाते हैं कई बार उनका सामना कई प्रकार खूंखार जानवरों से होता है लेकिन देवकृपा से उनको किसी भी प्रकार की क्षति नहीं पहंुचती। धाम के सभी व्यजनों को परम्परानुसार देवता को अर्पण किया जाता हैै। इससे पहले देवता की पूजा विधिवत से देवगुर करते हैं। मनोकामना पूरी होने के बाद ही लोग देवता के लिए धाम की व्यवस्था करते हैं।
बाईपास सड़क निर्माण के समय देव हुए थे कुपित
संजौली ढली बाईपास में बढ़ते टैफिक की समस्या से निजात पाने के लिए स्थानीय ेिजला प्रशासन ने एक अतिरिक्त सड़क मार्ग का निर्माण का कार्य प्रारम्भ किया। इसके लिए ठेकेदार को जब स्थानीय लोगों ने देव अनुमति के आग्रह किया। तो ठेकेदार आधुनिक शिक्षा से अच्छा पढ़ा लिखा होने के कारण इस बात से असहमत रहा। जैसे-जैसे सड़क देव स्थान के ठीक उपर की आने लगी तो अद्भुत घटनायें घटने लगी। सड़क निर्माण करने वाले बहुत सारे मजदूर घायल हो गये तो कुछ को तो अपने प्राणों से हाथ धोने पड़े। इसके अलावा भी अनेक प्रकार की समस्यायें ठेकेदार को आने लगी। इन घटनाओं से ठेकेदार को काम बंद करने तक की नौबत आ गयी। इसके बाद स्थानीय लोगों ने फिर से उसको देवता के बारे में बताया। अबतक ठेकेदार को भी इस बात का अहसास अच्छी प्रकार से हो गया था। उसने तुरंत देवता की प्रार्थना की और धाम की व्यवस्था की बात मानते हुए देवता से दया की याचना की। कुछ दिनों के अनुनय विनय और दंड रूप में कुछ व्यवस्था के बाद जब काम शुरू हुआ तो ठेकेदार को पता भी नहीं चला कि सड़क का काम कब पूरा भी हो गया। इतना ही नहीं देवकृृपा से किसी भी प्रकार की जन और धन की हानि नहंी हुई। यह एक कहानी हमारे सामने घटी है इसलिए जिक्र किया लेकिन इस प्रकार की अनेक प्रकार की हजारों घटनायें यहां घटी है। लोग आस्था के कारण इन स्थानों को सार्वजनिक नहीं करते ताकि यहां की पवित्रता को अक्षुण्ण रखा जाये।
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