मशोबरा के एक गांव में देवयुद्ध के गवाह देवदार के उल्टे खड़े पेड़
शिमला के समीप मशोबरा के निकटवर्ती गांवों धनेन, कुम्हाली आदि गांवों में आज भी उल्टे लगे देवदार के पेड़ आज भी एक अनोखी घटना की गवाही दे रहे हैं। यहां के ग्रामीण निवासियों के अनुसार देवताओं की आपसी लड़ाई हुई तो एक देवता के हाथ चुराए जा रहे पेड़ जहां पर जैसे भी गिरे वो वैसे ही स्थापित से हो गए। कुछ पेड़ों की जड़ें ऊपर तो तना नीचे की ओर है लेकिन हैरत इस बात की है इनमें से कुछ पेड़ न केवल मौसम की मार से ज्यों के त्यों है बल्कि ये हरे भरे भी हैं। इनको अगर ध्यान न देखा जाए तो कोई बता नहीं सकता कि ये उल्टे लगे हुए हैं।
देवताओं के युद्ध की घटी घटना के आज भी जीवित है सबूत
ये लड़ाई दो देवठीयों के देवताओं के बीच हुई थी। कुम्हाली देवठी के देवता के गुर और पुराने बुजुर्ग बताते हैं कि देवता धांधी एक बार लंबी यात्रा पर निकल गए देवता ने अपनी प्रजा और क्षेत्र की रक्षा के लिए दूसरे सहायक देवता सीप को नियुक्त किया। इस बात का पता जब कोगी के देवता को लगा उसने धानधी देवता की अनुपस्थिति का लाभ लेने की योजना बनाई। उन दिनों उस क्षेत्र में देवदार के पेड़ नहीं होते थे जिस कारण वहां का तापमान गर्म रहता था और बर्फबारी की अल्पता थी। देवता ने धांधी देवता के स्थान से कई पेड़ देवदार के उखाड़ लिए और भागने लगा। इस बात का पता जब सीप देवता को चला तो उसने कोगी देवता को युद्ध के लिए ललकारा। कोगी देवता ने लोहे के ओले जिसे स्थानीय भाषा में शरु कहा जाता है। शरू की बारिश कर दी लेकिन सीप देवता ने किसी प्रकार से अपना बचाव किया। इसके बाद सीप देवता ने भी हमला कर दिया जिसमें उस देवता के हाथ से अनेक देवदार के पेड़ जहां तहां गिर गए। कुछ पेड़ बिलकुल औंधे गिरे लेकिन देवकृपा से ये सूखे नहीं और आज भी यथावत खड़े हैं। इस युद्ध में देवता कोगी की हार हुई लेकिन फिर भी वो देवदार के कुछ पेड़ अपने क्षेत्र में ले जाने में सक्षम हो गया। इसके बाद कोगी देवता के आधिपत्य में आने वाले क्षेत्र में भी देवदार लगने प्रारंभ हो गए।
युद्ध में कोगी देवता की कट गई नाक देवताओं में आज भी है बैर
युद्ध के दौरान कोगी देवता की नाक में लोहे का शरू लग गया जिससे को देवता की नाक कटकर जमीन पर गिर गई। हैरानी की बात यह है कि उक्त देवता की मूर्ति में भी आजतक नाक नही लगाई जा सकी। अनेक मूर्तिकार मूर्ति में नाक के स्थान पर नाक लगाते तो हैं लेकिन कुछ ही समय के बाद ये नाक जमीन पर गिर जाती है। देवता धांधी और देवता कोगी के बीच इस युद्ध के बाद से दूरी बन गई। देवता धांधी के क्षेत्र के लोगों के दूध के बर्तनों को अगर कोगी देवता के आधिपत्य वाले लोग छू ले तो दूध अथवा घी में कीड़े पड़ जाते हैं। एक दूसरे के इलाकों में पहले विवाह आदि संबंध करने पर कई प्रकार की सावधानियां रखनी पड़ती थी। ये मान्यताएं आज भी चल रही है।
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