अद्भुत दैविय चमत्कारों से भरा है सोलन कंडाघाट का थड़ामूला स्थान

सोलन के कंडाघाट से लगभग 3 किलोमीटर नीचे पड़ने वाला थड़ामूला स्थान दैविय चमत्कारों से भरा है। यहां आने वाले लोगों की मान्यता है कि जब भी वे किसी परेशानी से घिरे तो उन्होंने बाबा थड़ामूला को याद किया और परेशानी कैसे चली गयी इसका पता भी नहीं चला। इस स्थान पर हिमाचल ही नहीं बल्कि पंजाब, हरियाणा यहां तक कि बिहार तक से लोग अपनी परेशानियों को दूर करने के लिए आ चुके हैं। जो एक बार यहां आया वो इस स्थान को भूला नहीं सकता। यही कारण है कि दुनियां की नजरों से दूर सुनसान से स्थान पर बसा यह स्थान लोगों की मान्यताओं का केंद्र बन गया है।


स्थानीय लोग नहीं चाहते इसकी प्रसिद्धि


लोगों की समस्याओं को दूर करने वाले इस स्थान की प्रसिद्धि यहां के स्थानीय लोग बिल्कुल भी नहीं चाहते। वे चाहते हैं कि यहां पर लोगों की अनावश्यक भीड़ न लगे। इससे यहां की पवित्रता को क्षति पहुंच रही है। इस स्थान पर आने के लिए जो नियम हैं उनका पालन बेहद आवश्यक है। यदि ऐसा नहीं होता तो यहां पर विराजमान शक्ति के लोप हो जाने का खतरा तो है ही साथ ही किसी प्राकृतिक आपदा के आने की आशंका भी यहां के लोगों को सताती है जिस कारण लोग नहीं चाहते हैं कि यहां पर लोगों को अनावश्यक भीड़ जुटे। यहां के पुजारी, रखरखाव करने वाले यहां की कोई भी जानकारी मीडिया या किसी भी प्रचार स्थल में साझा नहीं करते । यहां तक कि कंडाघाट के स्थानीय व्यापार मंडल, टैक्सी युनियनें, टक युनियनें सभी इस स्थान पर भंडारा लगाते हैं लेकिन कोई भी यहां के बारे कोई भी जानकारी साझा करने से बचते हैं। यह स्थान सभी के दिलों में समाया है लोग अपने दुख में बाबा थड़ामूला को पुकारते भी हैं लेकिन फिर भी लोग इस स्थान की कोई प्रसिद्धि नहीं करना चाहते।


ये है बाबा थड़ामूला की मान्यता का आधार


पूरे उतरी पर्वतीय प्रदेशों में ऐसे कुछ स्थान हैं जहां अक्सर बड़ी उंचाई से जो झरने गिरते हैं। ऐसे स्थान सुनसान स्थान और प्राकृतिक रूप से शांत होते हैं। जहां पर भी ऐसे स्थान होते हैं वहां पर एक शक्ति निवास करती है जिसे झाल देवता कहा जाता है। यह देवता एक ही स्थान पर नहीं बल्कि हिमाचल और उतरी पर्वतीय स्थानों का अधिष्ठाता देवता माना गया है। ये सर्प के रूप में रहता है और इसकी प्रति महीनें की संक्रांति या छह मास में पूजा की जाती है। ये पूजा महाभारत काल से लगातार चलती आ रही है। महाभारत में वनपर्व में भी इस देवता से जुड़ा दृष्टांत है। महाभारत में अज्ञातवास के दौरान जब पांडव अपनी प्यास बुझाने के लिए ऐसे एक निर्जन और पानी वाले स्थान पर जाते हैं तो पानी पीने से पहले एक यक्ष के रूप में यह शक्ति उनसे कुछ प्रश्न पूछती है। लेकिन बल के अभिमान के कारण जब वे उतर देने की अपेक्षा पानी पीने की कोशिश करते हैं तो उनको यह शक्ति कुपित होकर मार देती है। युधिष्ठिर ही उस शक्ति के प्रश्नों को उतर देने में सक्षम होते हैं। वे उस शक्ति के प्रसन्न होने पर अपने भाईयों के प्राणों की रक्षा का वरदान मांगते हैं। जिसके बाद युधिष्ठिर के सभी भाई जिन्दा होते हैं। इसके बाद उतर में खास तौर पर हिमाचल में इस शक्ति की पूजा प्रचलित हो गयी। इस शक्ति को हिमाचल में राक्षस माना जाता है जोकि एक सर्प के रूप में आज भी लोगों को दिखाई देती है।


थड़ामूला बाबा के स्थान में महिलाओं का प्रवेश है वर्जित


बाबा थड़ामूला एक यद्यपि लोगों के कष्ट को दूर करते हैं और देव आज्ञाओं की सीमाओं में रहकर किसी प्रकार उत्पात नहीं करते। फिर भी मान्यता है राक्षस शक्ति होने के कारण महिलाओं यह शक्ति परेशान करती है। यही कारण है कि इस स्थान से जुड़ नियमों में महिलाओं का प्रवेश वर्जित माना गया है। आधुनिक परिवेश और स्वतंत्रता के कारण यद्यपि किसी को रोकना संभव नहीं है फिर भी बाबा थड़ामूला के प्रति सच्ची आस्था रखने वाले लोग मन से नहीं चाहते कि किसी महिला का प्रवेश इस स्थान में हो।


कंडाघाट में बाबा के रूप में दिखती है यह शक्ति


थड़ा का अर्थ है स्थान और मूला का मतलब है मूल स्थान। यहां पर बाबा जहां पर विद्यमान है वह स्थान बिल्कुल नीचे है। यह स्थान उपर तक है जहां पर एक समतल स्थान है यहां पर किसी मनुष्य का प्रवेश करना नियमांे की अवहेलना करना जैसा माना गया है। पुराने लोगों की माने तो उन्होने इस स्थान पर अक्सर एक बाबा की आवाजें सुनी है और एक सन्यासी के रूप में बाबा को प्रत्यक्ष देखा भी है। थड़ामूला में एक धुना भी है लेकिन अब वह जल नहीं रहा लेकिन वहां पर अब हवन आदि के काम चलते हैं।


नवरात्रों मंे लगते हैं भंडारे

थड़ामूला में नवरात्रों के नवों दिन भंडारा चलता है। यह भंडारा स्थानीय टैक्सी युनियनों, टक युनियनों और व्यापार मंडल की ओर से लगाया जाता है। गाडियों के काम से जुडे चालक परिचालक यहां पर ज्येष्ठ मास के प्रथम दिवस पर भंडारा लगाते हैं। यह दिन उनके लिए तय है। इसका कारण यह है कि बाबा के पास गाड़ियों से जुड़े जितने भी परेशान चालक एवं परिचालक आदि आते हैं बाबा उनकी समस्याओं का निदान चुटकियों में कर देते हैं। यही कारण है यहां पर चालक युनियनों को विशेष आग्रह इस स्थान पर सेवा का रहता है।

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