कुंडली के प्रथम भाव से बन जाते हैं राजयोग
कुंडली का प्रथम भाव शरीर, व्यक्तित्व और शरीर को प्राप्त होने वाले हर प्रकार के सुखों का प्रतिनिधित्व करता है। इसलिए यदि प्रथम भाव या प्रथम भाव का स्वामी मजबूत है तो आप किसी की भी कुंडली में उसकी सफलता की भविष्यवाणी कर सकते हैं। प्रथम भाव का स्वामी यदि प्रथम भाव में ही है तो यह अच्छी स्थिति का परिचायक है। इसके बाद कोई लग्न में मित्र या उच्च या स्वग्रही ग्रह का होना भी अनुकूलता का सूचक है। यदि लगन का स्वामी मित्र, स्वग्रही या उच्च हो और लग्न में भी कोई ग्रह इसी प्रकार से बैठा हो पूरा जीवन सुखमय व्यतीत होना निश्चित है। यदि कुंडली में कोई अन्य बेहतर योग है तो फिर जीवन में उत्थान को कोई रोक नहीं सकता। लगन में कमजोर ग्रह और लगन के स्वामी का कमजोर होना अच्छे मिलने वाले लाभों से जातक को वंचित कर देता है। व्यक्ति अनुकूल परिस्थितियों का लाभ लेने में सक्षम नही हो पाता। यदि कुंडली में बेहतर राजयोग है तो व्यक्ति उसके शुभ फलों को कम से कम ही प्राप्त कर पाता है।
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