मांगलिक योग या दोष एक दृष्टि

 मांगलिक होना क्या अच्छा है या कोई दोष, एक विवेचन

विवाह में अक्सर जिस योग पर अधिक चर्चा होती है वो है मांगलिक योग। मांगलिक होना गुण है या दोष इसके बारे में प्राय: जानकारी का अभाव रहता है। कुंडली में मांगलिक होना जातक को चिंता में डाल देता है क्योंकि विवाह के लिए मांगलिक का विचार आवश्यक रहता है। विवाह में जो लोग प्रेम विवाह करते हैं उनके लिए मांगलिक विचार चिंता में डाल देता है। इसलिए मांगलिक होना क्या है? इसके बारे में जानकारी रखना आवश्यक है। मांगलिक शब्द मंगल ग्रह के बारे में बतलाता है कि आपकी कुंडली में मंगल की स्थिति किन स्थानों में है। यदि मंगल पहले, चौथे, अष्टम या द्वादश स्थान में हो व्यक्ति को मांगलिक माना जाता है। मंगल ग्रह की प्रवृति अग्निकारक होती है यानी एक अंगारे जैसी। इसलिए मंगल को शुद्ध रूप से अंगारक कहा जाता है। मंगल ऊर्जा से भरा ग्रह है जो बल वाले यानि फोर्स या ताकत का प्रतिनिधित्व करता है। सेना या पुलिस में मंगल की स्थिति अगर सही न हो तो कोई भर्ती हो ही नही सकता। हर बल से जुड़े व्यवसाय में ऊर्जा के रूप में मंगल की अनुकूल स्थिति की अपेक्षा रहती है। योद्धाओं के मंगल की स्थिति विशेष रूप से देखने वाली होती है। कुंडली के जिस भाव से मंगल का संबंध रहता है मंगल के गुण उस भाव को प्रभावित करने लगते है। जैसे दूसरे भाव जो कि वाणी का भाव माना गया है कुंडली में वहां पर मंगल वाणी में तीखापन या उग्रता ला देता है। शरीर के भाव में मंगल शरीर से गठीला बदन लेकिन लड़ाकू प्रवृति देता है। ऐसे में अगर कोई शांत और अहिंसक विचारों वाला उसके साथ रहेगा तो लंबे अंतराल में साथ रहना मुश्किल हो जायेगा। वहीं अगर चतुर्थ भाव में मंगल होगा झगड़ा करने में या अपना युद्ध कौशल दिखाने में ऐसे व्यक्ति आनंद की अनुभूति करते हैं।

कुंडली के सातवें भाव से पति और पत्नी का विचार होता है। तो वहां मंगल होने का सीधा मतलब है कि जिससे आप विवाह कर रहे हैं अगर वो मंगल यानि ऊर्जा से भरे सैनिक प्रवृति के व्यक्ति के साथ रहने वाले है। अष्टम भाव मृत्यु का है वहां पर मंगल का मतलब है ऊर्जा का संबंध मृत्यु से जुड़ जाता है जैसे एक सैनिक खूब लड़ा लेकिन युद्ध में उसकी मृत्यु हो गई। वहीं बाहरवें भाव में मंगल वैवाहिक सुख में या भोग में अत्यधिक ऊर्जावान करता है। अगर सामने वाला सामान्य है यानि उसके उस भाव की स्थिति सामान्य है तो समझ लीजिए कि विवाह के बाद परेशानी आने वाली है। तो आपने जान लिया कि मंगल की स्थिति कुंडली में इन विशेष भावों में है तो आप अपने को उन स्थितियों के लिए तैयार रखें जोकि विवाह के बाद आपको झेलनी है। इसलिए मांगलिक योग या दोष की चर्चा विवाह में अक्सर जरूरी रहती है।

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