ज्योतिष शास्त्र में कुंडली विज्ञान
भारतीय परिवारों में कुंडली का महत्व किसी भी प्रकार से कम नहीं हुआ है भले ही चंद्रयान 3 मिशन पूरी तरह से सफल रहा हो। विज्ञान और धर्म एक दूसरे के पूरक का काम करते हैं ये विश्वास कुंडली और विज्ञान दोनों के प्रति लोगों की समानता के भाव से आसानी से समझी जा सकती है। कुंडली के बारे में लोग जानते हैं लेकिन ये क्या है इसके बारे में कम ही लोग जानते हैं। जब कोई व्यक्ति जन्म लेता है तो जो आकाश में ग्रहों की स्थिति होती है ये उसका लिखित विवरण है। कौन सा ग्रह किस राशि में विचरण कर रहा है यह उस समय की आकाशीय स्थिति से पता चल जाता है। कुंडली में समय और स्थान का विशेष महत्व है क्योंकि क्योंकि समय के परिवर्तन के साथ आकाशीय स्थिति भी बदलती रहती है। अत: एक ही दिन में अलग अलग लोगों के स्वभाव और भाग्य में भारी अंतर आ जाता है। कुंडली की सही व्याख्या सटीक समय पर बहुत हद तक निर्भर रहती है। इसके बाद स्थान भी महत्वपूर्ण है क्योंकि जिस स्थान पर जातक का जन्म हुआ है उसका असर जातक पर पड़ता ही है। उदाहरण से समझते हैं जिन स्थानों पर सूर्य की किरणें कम निकलती हैं वहां पर रहने वाले लोग कम जीवनी ऊर्जा वाले होते हैं। लेकिन जहां पर सूर्य की किरणें और धूप दिन भर खिली रहती हैं वहां के लोग बहुत महत्वाकांक्षी होते हैं और जीवन में खूब तरक्की करते हैं।
ज्योतिष शास्त्र में कुंडली पर लोगों का विश्वास है तो अविश्वास भी है। बहुधा ऐसा देखा गया है कि लोगों पर की गई भविष्यवाणियां सच साबित नहीं हुई या आप कुंडली दिखा रहे हों और पंडित जी का फलादेश आपको सही न लगे। तो इसमें दोष ज्योतिष का नहीं है बल्कि देखने वाले की योग्यता का है। अधिकतर लोग नहीं जानते कि इसकी पढ़ाई एक विषय के रूप में होती है और इसके कॉलेज और विश्वविद्यालय है। इन विश्वविद्यालयों में ज्योतिष विषय तो पढ़ाया ही जाता है साथ ही इस विषय पर अनुसंधान भी होता है। हर वर्ष हजारों विद्यार्थी पीएचडी की डिग्री भी इस विषय में लेते हैं। लोग अंतरिक्ष विज्ञान और ज्योतिष विज्ञान में भी अंतर करने में सक्षम नहीं हो पाते। वे अंतरिक्ष विज्ञान और उसकी खोजों को मानते हैं क्योंकि इसके प्रमाण सार्वजनिक तौर पर बिना अनुसंधान के उपलब्ध हो जाते हैं लेकिन ज्योतिष को वो संस्कृति और आस्था का विषय मान लेते हैं। बहुत से लोग ज्योतिष को बहुत आदर नहीं देते क्योंकि उनकी धारणा ज्योतिष को लेकर यही रहती है कि यह अंधविश्वास पर आधारित पैसे कमाने का धंधा है। इसके पीछे कारण है उनका अल्पज्ञान । ज्योतिष विज्ञान के प्रतिनिधि अगर सड़क पर रोजीरोटी चलाने के लिए ज्योतिषी बने लोगों को मान रहे हैं या गांव में पूजा पाठ करवाने वाले अल्पशिक्षित पंडित को मान रहे हो तो आपकी ज्योतिष के प्रति नकारात्मक धारणा स्वाभाविक है। लेकिन अभी ज्योतिष विज्ञान का क्षेत्र न तो व्यवस्थित है और न ही इसमें योग्यता का कोई प्रमाणिक आधार है।
ज्योतिष विज्ञान के प्रति लोगों की उपेक्षा का आधार रही शिक्षा
भविष्य का समाज कैसा होगा ये बात निर्भर करती है वर्तमान की शिक्षा पर। मैकाले की शिक्षा नीति का असर कुछ इस कदर भारी पड़ा कि भारत में स्वतंत्रता मिलने के बावजूद देश के कर्णधारों ने हजारों सालों से स्थापित, व्यवस्थित और पूर्णतया वैज्ञानिक जीवन शैली के अनुरूप भारतीय शिक्षा पद्धति को नकार दिया। तर्क था विश्व के दूसरे देशों में भी शिक्षा का विस्तार हुआ था जिसका लाभ सभी को मिल भी रहा था। ऐसे में प्राचीन की अपेक्षा आधुनिकता को बल मिला ताकि वैश्विक स्पर्धा में हम पीछे न छूट जाए। इसके परिणाम आए और भी आ रहे हैं एक संगठित, व्यवस्थित, आत्मनिर्भर और आत्म चेतना से भरी पीढ़ी के स्थान पर मशीनों पर आश्रित, वैश्विक असुरक्षित आर्थिक व्यवस्था और आत्मबल विहीन एक कमजोर पीढ़ी सबके सामने है। गांवों से आत्मनिर्भरता छीनी गई, परंपरागत लघु व्यवसाय तबाह हुए सब नौकरी पर आश्रित और बाबूशाही की ओर पीढ़ी उन्मुख हुई। ज्योतिष को हेय मानने के पीछे यही तर्क है।
ज्योतिष विज्ञान है और आगे के ब्लॉग में आपको धीरे धीरे इसके हर पहलू से अवगत भी करवाया जाता रहेगा।
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