दीपावली में माता लक्ष्मी की कृपा के लिए करे इस स्तोत्र का पाठ
दीपावली भारतीय परंपरा में वर्ष का सबसे आनंद देने वाला पर्व है। इस दिन को भव्य बनाने के लिए हम सभी खूब प्रयास भी करते हैं। मुख्य रूप से सभी के केंद्र में प्रकाश यानि सकारात्मक का प्रसार रहता है। लेकिन कुछ लोगों के जीवन में यह पर्व इतना उत्साहवर्धक नहीं रहता। जैसे जैसे यह पर्व समीप आता जाता है उनकी उदासी बढ़ती जाती है। वो चाहते हैं कि जैसे तैसे इस पर्व को निपटाएं। दरअसल जो लोग वस्तुओं और पदार्थों की प्रचुरता से आकृष्ट रहते हैं l लेकिन उनका सामर्थ्य इन वस्तुओं को खरीदने का नहीं होता वे लोग आत्मग्लानि से भर जाते हैं। परिवार के लोग घर के मुखिया को अयोग्य मान कर तिरस्कार भी कर देते हैं। साधन विहीन लोगों को ये बातें कचोट जाती है।
इसका क्या है समाधान
यह संसार कर्म के आश्रित है जिसका जैसा कर्म उसका वैसा ही फल मिलता है। ऐसे में अपने कमजोर भाग्य को बदलने के लिए ईश्वरीय कृपा की सहायता रहती है। ईश्वरीय कृपा के लिए निश्चित ज्ञान की आवश्यकता होती है। भारतीय संस्कृति की विशेषता रही है कि यहां पर हर समस्या का समाधान यहां के ग्रंथों में पहले से ही निहित रहता है। आवश्यकता है सही मार्गनिर्देशन की ताकि हम अपनी समस्या का निराकरण कर पाएं।
कनकधारा स्तोत्र का पाठ दीपावली की रात्रि है अदभुत चमत्कारी
दीपावली की रात साधारण रात नहीं होती। इस रात्रि को जागरण करना बेहद कठिन होता है। इस रात्रि को जागरण करने से भगवती लक्ष्मी की असीम कृपा प्राप्त होती है। आदि शंकराचार्य ने लक्ष्मी विहीन यानि धन विहीन लोगों के लिए एक अनुभूत उपाय बताया है। कनकधारा स्तोत्र का पाठ करना उनके द्वारा दिया अदभुत अनुभूत उपाय है। दीपावली की रात्रि को इसके 108 पाठ करने से पूरे साल भर आपके पास धन की कोई भी कमी नहीं रहती।
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